Saturday, November 21, 2009

hindai 1

1

मैं साधारण व्यक्ति हूं ,
मेरे पास कोई करिश्मा नहीऔर न हीं मैं कोई करिश्मे मैं विस्वास करता
मैं किसी विधि मैं विस्वास नही करता
बाबजूद इसके की मैं उसका उपयोग करता हूं.
मैं उसमे विस्वास नही करता,
मैं स्वाभाविक व्यक्ति हूं,बहुत हीं साधारण,
मैं भीड़ मैं खो सकता हूं,
और तुम मुझे ढूंढ़ भी नही पायोगे,
इसलिए मैं तुम्हारा नेतृतव नही करता ,
मैं तूम्हारे साथ चल सकता हूं,
मैं तुम्हारा हाथ पकड सकता हूं,
मैं तुम्हारा मित्र हो सकता हूं.

2

रात भर तन्हा रहा,


दिनभर अकेला मैं हीं था ,


शहर की आबादियों में


अपने जैसा मैं ही था ।


मैं ही दरिया मैं ही तूफान,


मैं ही था हर मौज भी,


मैं ही ख़ुद को पी गया,


सदियों से प्यासा मैं ही था.

3

ऐ खुदा कुछ कर मदद एक इश्क ऐसा दे दे,
हो जाए जिससे दिल की चाहत कोई !!

आसमान के चाँद जैसा हो जो निश्चल हमसफ़र ,

ऐ खुदा कुछ कर मदद हमनशी वो दे दे!
चाँद तारों की झलक हो और हो एक प्यारा दा दिल ,
बस सके उस दिल में मेरे प्रीत ऐसा दे दे !!
न हीं मुराद हो बज्म की ,न ही सिकन हो रश्म की ,
कर सके गर इश्क मेरे से भी बढ़कर नज्म की ,
ऐ खुदा एस बदनसीब को खुशनशीब वो दे दे
हो जाए जिससे दिल की चाहत कोई !!
कुछ न मांगू ऐ खुदा बस साथ ऐसा दे दे
गाता रहूँ , सुनता रहे वो ----------,
एक रात सही पर साथ ऐसा दे दे ,
हो जाए जिससे दिल की चाहत कोई,
गर न मिल सके स्वपननील मेरा वो हमसफ़र ,
ऐ खुदा एक काम कर , ले चल मुझे कुछ उस जगह ,
इश्क की जहाँ उठती लहर
शाम हो या हो दोपहर,
सो सकूँ ताकि जहाँ मैं खावों में अपने हमसफ़र के ,
गर न मिलता हो कहीं ऐसा वतन ,
क्या कहूँ बस ऐ खुदा मेरी जिंदगी तू ले ले ,
ऐ खुदा कुछ कर मदद एक इश्क ऐसा दे दे,
हो जाया जिससे दिल की चाहत कोई
!!

4

मैं साधारण व्यक्ति हूं ,
मेरे पास कोई करिश्मा नहीऔर न हीं मैं कोई करिश्मे मैं विस्वास करता
मैं किसी विधि मैं विस्वास नही करता
बाबजूद इसके की मैं उसका उपयोग करता हूं.
मैं उसमे विस्वास नही करता,
मैं स्वाभाविक व्यक्ति हूं,बहुत हीं साधारण,
मैं भीड़ मैं खो सकता हूं,
और तुम मुझे ढूंढ़ भी नही पायोगे,
इसलिए मैं तुम्हारा नेतृतव नही करता ,
मैं तूम्हारे साथ चल सकता हूं,
मैं तुम्हारा हाथ पकड सकता हूं,
मैं तुम्हारा मित्र हो सकता
हूं.

5




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